"आरती राजा रामजी की
हे राजाराम तेरी आरति गाऊँ ।
आरति गाऊँ प्रभु तुमको रिझाऊँ ॥
कनक सिंहासन राजत जोरी।
दसरथ नन्दन जनक किशोरी
यह छवि अपने मन में बसाऊँ ।। हे.......
बाम भाग शोभित जगजननी।
चरण बिराजत हैं सुत अन्जनी
इन चरणों में शीश नवाऊँ हे.......
चरणों से निकली गंगा प्यारी
जिसने सारी दुनिया तारी
इन चरणों के गुन गन गाऊँ हे......
आरति हनुमत के मन भावे
रामकथा नित शिवजी गावें
मैं बलिहारी तिहारे जाऊँ ।। हे...
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