यह अवसर फिर नहिं मिलने का
यह अवसर फिर नहिं मिलने का, सत्संग करो सत्संग करो।
यह वक्त नहीं हिल डुलने का, सत्संग करो सत्संग करो ।। 1 ।।
चाहे सारी दुनियाँ ठुकरावे, चाहे धन सम्पत्ति सब लुट जावे।
चाहे थाली लोटा बिक जावे, सत्संग करो सत्संग करो ।। 2 ।।
चाहे तन में अधिक बिमारी हो, प्रतिकूल चले नर नारी हो।
भाये नहिं बात हमारी हो, सत्संग करो सत्संग करो।। 3 ।
अपमान अचानक हो जावे, निज साथी सभी बिछुड़ जावें।
चाहे नित्य नई आफत आवे, सत्संग करो सत्संग करो ।। 4 ।।
हे सुख सम्पत्ति के अभिमानी, कर लो अँचवन बहते पानी।
यहाँ चार दिनों की मेहमानी, सत्संग करो सत्संग करो ।। 5 ।।
व्यवहार सीखना है जिसको, व्यापार सीखना है जिसको ।
भव पार उतरना है जिसको, सत्संग करो सत्संग करो ॥16 ॥
0 Comments