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तात मिले पुनि मात मिले



तात मिले पुनि मात मिले


तात मिले पुनि मात मिले, भ्रात मिले जुबती सुखदाई । 


राज मिले गज बाजि मिले, सब साज मिले मनवांछित पाई ।। 


लोक मिले सुरलोक मिले बिधिलोक मिले बैकुण्ठहु जाई ।


दर' और मिले सबही सुख, सन्त समागम दुरलभ भाई ।।

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