आरती अवधबिहारीजी की
आरती अवध बिहारी की, लखन सिया जनक दुलारी की ।
सीस पर क्रीट मुकुट सोहे, चन्द्रिका की छवि मन मोहे ।
लखन सेवा बलिहारी की, लखन सिया जनक दुलारी की ॥11 ॥
कपोलन पै अलकै झलकै, हँसन पै बिजली सी चमकै ।
रेख कजरारे नैनन की, लखन सिया जनक दुलारी की ।। 2115
धन्य सरयू निर्मल नीरा, भरत रिपु दलन महावीरा ।
चरण सेवा धनुधारी की, लखन सिया जनक दुलारी की ।।3।।5
जिये जुग स्यामलता जोड़ी, भजो रे मन सब माया तोड़ी ।
दरशहित युगल बिहारी की, लखन सिया जनक दुलारी की ॥14॥
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