कैलाश के निवासी नमो बार-बार हूं
कैलाश के निवासी नमो बार-बार हूं।
आये शरण तिहारी प्रभु तार-तार तूं ।।
भक्तों को कभी शिव ने निराश न किया।
मांगा जिसे चाहा वही वरदान दे दिया ।।
बड़ा है तेरा दायरा, बड़ा दातार तूं ।। 1।।
आये शरण.........
बखान क्या करूँ मैं राखों की ढेर का ।
लिपटी विभूति में है खजाना कुबेर का ।।
है गंगाधार मुक्तिधार ओंकार तूं ।। 2।।
आये शरण............
क्या क्या नहीं दिया है ये हम प्रमाण हैं ।
तेरी कृपा के आसरे सारा जहान है।
जहर पिया, जीवन दिया, कितना उदार तू ।।3।।
आये शरण .....................
तेरी कृपा बिना न हिले, एक भी अणु ।
लेते हैं स्वांस तेरी दया से तनु तनु । ।
कर दे ठाट एक बार, मुझको निहार तू ॥ 4 ॥
आये शरण....................
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