माँ पार्वती जी का सखियों से बाबा जी के स्वरूप का वर्णन
डिम-डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया
डिम-डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया ॥ टेक ॥।
शीश गंगाजी के धार, सोहे चन्द्रमा लिलार ।
अंग बिभूति रमावेला हमार जोगिया । । 1
डिम-डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया ।
संग भूत बरियात और जोगिनी जमात 1
बूढ़े बसहा चढ़ि आवेला हमार जोगिया ।। 2 ।।
डिम- डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया ।
पहिरे नाग रिपु छाला, हाथ कान पहिरे ब्याला ।
हरदम रामनाम गावेला हमार जोगिया ।। 3
डिम- डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया ।
सब लोक के जो देवा करे सारा जग सेवा ।
कहावेला हमार जोगिया ।। 4 11
डिम- डिम डमरू बजावेला हमार जोगिया ।
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