सत संगति से प्यार करना सीखो जी
सत संगति से प्यार करना सीखो जी,
जीवन का उद्धार करना सीखो जी।
तन धन धाम संग नहीं जावे ।
सुत दारा कोई काम न आवे ।
ममता का संहार करना सीखो जी ।। 1।।
यह जग मोह, नींद का सपना।
नहीं कोई गैर नहीं कोई अपना ।
सत्य असत्य विचार करना सीखो जी ।। 2 ।।
हरि का भजन, नित्य प्रति कीजे ।
अन्तः करण, शुद्ध कर लीजे ।
आत्म साक्षात्कार करना सीखो जी । 3 ।।
'भिक्षुः' कहे सुनो मन मेरो ।
नर तन भव बारिधि कह बेरो ।
भव से बेड़ा पार करना सीखो जी ॥ 4 ॥
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