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सब मिल गायें, सुने सुनायें,


सब मिल गायें, सुने सुनायें


सब मिल गायें, सुने सुनायें,


राम कथा अब घर-घर में ।


आओ गायें, मौज मनायें,


रामकथा अब घर-घर में ।


सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग, सब में महिमा भारी है। 


माँ ने पूछे प्रश्न अनेकों, तब बोले त्रिपुरारी हैं। 


आप भी गा लो, सहज ही पा लो चार पदारथ निज कर में,


जो सप्रेम सुनता औ गाता, सुख-सम्पति पा जाता है। 


राम कथा दृढ़ नाव है न्यारी भव सागर तर जाता है। 


हम भी पायें, आप भी पाओ तुलसी के मानस सर में । 


भक्ति प्रदायक, मुक्तिदायक, रामकथा अति प्यारी है। 


दुख विनाशक, ज्ञान प्रकाशक, सब बिधि महिमा-न्यारी है ।। 


मानव जन्म को, धन्य बनालो, बाजी है तुम्हरे कर में। 


शिव शक्ति भुशुण्डि गरुड़ जी, याज्ञवल्क्य रिषि गाये है। 


गुरुवर 'गिरिधर' और अनेकों, महापुरुष मन भाये हैं ।। 


बैठो प्रेमी, तुम्हें सुनायें, रामकथा भूषण स्वर में ।

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